tag:blogger.com,1999:blog-3170390339784461302.post8715753762700833587..comments2023-10-18T19:47:55.658+05:30Comments on हा र मो नि य म: कंडोम बाबा की करूणाAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04419500673114415417noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3170390339784461302.post-67157724738079766522010-03-14T15:22:48.096+05:302010-03-14T15:22:48.096+05:30कहानी नक्काशीदार है. इसमें जितनी तकलीफ है, उतनी ही...कहानी नक्काशीदार है. इसमें जितनी तकलीफ है, उतनी ही रचयिता में खूबी कि वह कई छोटी - छोटी बातों से पाठक को फिर से आगे पढ़ने का हौसला दे पाता है.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3170390339784461302.post-56469743208123163342010-03-13T22:01:54.206+05:302010-03-13T22:01:54.206+05:30वे ऐसे अंगुलिमाल लगने लगे, जिसने किसी पारदर्शी दान...वे ऐसे अंगुलिमाल लगने लगे, जिसने किसी पारदर्शी दानव की उंगलियां काटकर गले में पहन ली हों। <br />अद्भुत कल्पना..महान हैं गुरुदेव!!! और यहाँ हकीकत मे से अफ़साने को अलग करना चावल मे से चावल बीनने जितना मुश्किल है और निरर्थक भी...अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.com