सफरनामा

19 जून, 2011

प्रातः स्मरामि हृदि संस्फुरदात्मतत्वं



आजकल हिमालय में घूमने के साथ ध्यान की बंबा घेर क्लास (गदहिया गोलः गांव के स्कूलों की नर्सरी)चल रही है। सनातन पद्धति वाली कक्षा तीन दिन हो चुकी। आज बस थोड़ी देर बाद एक विपश्यना ध्यान केन्द्र में भरती हो जाऊंगा। शाम को संकल्प फिर दस दिनों तक बौद्ध पद्धति का मौन। संकेतों से भी बात नहीं करने के निर्देश हैं। बहुत दिनों से सोच रहा था कि झांक कर देखा जाए अंदर क्या है। लौटकर आप सबसे साझा करूंगा।

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन कर भला लगा। शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रातः स्मरामि ...अंदर झांक कर देखना ही उत्तम होता है। प्रमाणिक भी । आपकी इस रूचि के लिए शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  3. कब लौटेंगे जनाब, दस दिन बोल कर महीना निकाल लिया.

    जवाब देंहटाएं