सफरनामा

02 जुलाई, 2010

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी,


ब्रिटेन की महारानी का डंडा (क्वीन्स बेटेन या राजदंड) पूर्व गुलाम देशों का चक्कर लगाकर भारत में प्रवेश कर गया है। अब हर तरफ राष्ट्रमंडल खेलों की ही चर्चा है। यमुना की लाश पर उल्लासमंच सजा है। रानी के राजदंड को देश भर में घुमाया जा रहा है। अब ये बात बेमानी करार दी गई है कि "राष्ट्रों का ये मंडल" पूर्व गुलामों का संगठन है जो खेल के इस महा-उत्सव के जरिये महारानी को शुक्रिया अदा करते हैं। लेकिन एक जमाने में इस पर खूब बात होती थी। 1960 के आसपास हिंदी के श्रेष्ठ कवि नागार्जुन ने महारानी के आगमन को लेकर एक चर्चित कविता लिखी थी। ये नागार्जुन की जन्मशती का वर्ष है। उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप पेश है वही कविता

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी

यही हुई है राय जवाहरलाल की

रफू करेंगे फटे-पुराने जाल की

यही हुई है राय जवाहरलाल की

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी !


आओ शाही बैंड बजाएं,

आओ वंदनवार सजाएं,

खुशियों में डूबे उतराएं,

आओ तुमको सैर कराएं-

उटकमंड की, शिमला-नैनीताल की

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी!


तुम मुस्कान लुटाती आओ,

तुम वरदान लुटाती जाओ

आओ जी चांदी के पथ पर,

आओ जी कंचन के रथ पर,

नजर बिछी है, एक-एक दिक्पाल की

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी !


सैनिक तुम्हें सलामी देंगे,

लोग-बाग बलि-बलि जाएंगे,

दृग-दृग में खुशियां छलकेंगी

ओसों में दूबें झलकेंगी

प्रणति मिलेगी नए राष्ट्र की भाल की

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी !


बेबस-बेसुध सूखे-रुखड़े,

हम ठहरे तिनकों के टुकड़े

टहनी हो तुम भारी भरकम डाल की

खोज खबर लो अपने भक्तों के खास महाल की !

लो कपूर की लपट

आरती लो सोने की थाल की

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी !


भूखी भारत माता के सूखे हाथों को चूम लो

प्रेसिडेंट की लंच-डिनर में स्वाद बदल लो, झूम लो

पद्म भूषणों, भारत-रत्नों से उनके उद्गार लो

पार्लमेंट के प्रतिनिधियों से आदर लो, सत्कार लो

मिनिस्टरों से शेक हैंड लो, जनता से जयकार लो

दाएं-बाएं खड़े हजारी आफिसरों से प्यार लो

होठों को कंपित कर लो, रह-रह के कनखी मार लो

बिजली की यह दीपमालिका फिर-फिर इसे निहार लो


यह तो नई-नई दिल्ली है, दिल में इसे उतार लो

एक बात कह दूं मलका, थोड़ी से लाज उधार लो

बापू को मत छेड़ो, अपने पुरखों से उपहार लो

जय ब्रिटेन की, जय हो इस कलिकाल की !

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी !

रफू करेंगे फटे-पुराने जाल की !

यही हुई है राय जवाहरलाल की!

आओ रानी हम ढोएंगे पालकी!