सफरनामा

11 फ़रवरी, 2012

मिस लिन्डा मार्निंग शोः उन्हीं दिनों की चीन्हाखचाई



 

भारी जबड़े वाली एक सांवली


बुढ़ाती लड़की को

तीन चार आदमी रह-रह कर

आंटे की तरह गूंदने लगते थे

वह आनंद में विभोर जब

लेती थी सिसकारी

दांत दिखते थे और आंखे ढरक जाती थीं

मरती गाय की तरह।



वैसे ही तुंदियल थे वैसे ही फूहड़

वही छींटदार कमीजें

वही सेल में दाम पूछने भर अंग्रेजी

वैसे ही गुस्से में फनफनाते थे बेवजह

दांत पीसते अकड़े रहते थे

जैसे मेरे अगल बगल

ब्लू फिल्म जैसे जीवन में।



कपट उदासीनता से देखते थे बूढ़े

अंडकोषों के जोर से चीखते थे बेबस लड़के

मेरे जीवन से फाड़े उस परदे पर

मिस लिन्डा का सबसे स्वाभाविक अभिनय

बलात्कार से बचने का था।



हाउस फुल था

वह शस्य श्यामल सिनेमा हाल।

7 टिप्‍पणियां:

  1. Ab ye bade banners release karte hain, full entertainment guarantee ke saath.

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  2. Anichchha se aage ..! jari rahe ki shubhkamnayein ..anant mangal kamnayein! chinhakhachayee ko jari rakhein.

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  3. कामता, ये सिर्फ उनके लिए है जिन्होंने अश्लील फिल्में देखी हैं।

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  4. ये तो साउथ इंडियन या देशी शस्य श्यामल फिल्म का सीन लगता है

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  5. कामता, ये सिर्फ उनके लिए है जिन्होंने अश्लील फिल्में देखी हैं।

    फिर तो इस पर मैं भी कोई टिप्पणी नहीं लिख सकता हूं.....क्योंकि इसके लिए आपने जो पात्रता निर्धारित की है मैं उस पर अभी खरा नहीं उतरता हूं.....लेकिन शीघ्र ही इस पोस्ट पर फिर से टिप्पणी करने आउंगा.... जय हो..............

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