सफरनामा

12 मार्च, 2010

बिना एफआईआऱ बलात्कार नहीं होता

केएनवीएएनपी-7
थोड़ी ही देर में वह जगह खाली हो गई जैसे कभी कुछ हुआ ही नहीं था। अगले दिन अखबार में हेडलाइन थी, ‘वेश्याओं ने पुलिस की टोपी उछाली, लाठी चार्ज, बाइस घायल।’ अखबारों और चैनलों की भाषा में यह मामला अब ‘हॉटकेक’ बन चुका था जिसे वे अपने ही ढंग से परोस और बेच रहे थे। चैनलों ने इसे कुछ इस तरह पेश किया जैसे देश में यह अपने ढंग की अकेली घटना हुई हो जिसमें वेश्याओं ने एक डीआईजी के साथ ग्राहक से भी बुरा सलूक करने के बाद उन्हें खदेड़ दिया हो। अखबार के दफ्तर में जो संगठन बधाईयां दे रहे थे, अब उनकी तरफ से वेश्याओं के इस कृत्य के निन्दा की विज्ञप्तियां बरसने लगीं। कई और संस्थाएं कचहरी पर चल रहे धरने में शामिल हो गईं और स्नेहलता द्विवेदी आमरण अनशन पर बैठ गईं। मड़ुवाडीह के दोनों छोरों पर अब एक-एक प्लाटून पीएसी भी लगा दी गई। बदला चुकाने और वेश्याओं का मनोबल तोड़ने के लिए पुलिस वालों ने एक लड़की के साथ बलात्कार कर डाला।

चौदह साल की यह लड़की डीआईजी की मीटिंग के बाद से खाने का सामान लाने के लिए सड़क के उस पार जाने देने के लिए पहरा दे रहे सिपाहियों की विनती कर रही थी। दो-तीन बार आई तो डपटकर भगा दिया। अगले दिन फिर आईं तो सिपाही उससे बतियाने और चुहल करने लगे, उसे लगा कि शायद अब जाने देंगे इसलिए वह भी दिन भर इतराती और हंसती रही।

अंधेरा होने के बाद सिपाहियों ने उसे एक छोटे लड़के के साथ सड़क पार करने दी। वे सामानों की गठरियां लेकर जैसे ही लौटे सिपाहियों ने डंडे पटकते हुए दोनों को दूर तक खदेड़ दिया। वे डर गए, क्योंकि बस्ती से कभी बाहर निकले ही नहीं थे। दोनों वहीं सड़क के किनारे बैठकर रोने लगे, कई घंटे बाद जब दुकानें बंद हो गईं। तब एक सिपाही लड़की को बुलाकर एक लारी के भीतर ले गया। वहां एक सिपाही ने उसका मुंह बंद कर दिया और दो ने टांगे पकड़ लीं। बारी-बारी से चार सिपाहियों ने उसके साथ बलात्कार किया फिर उसे बच्चे और पोटलियों के साथ बस्ती में धकेल दिया गया। वेश्याएं रात भर सड़क के मुहाने पर जमा होकर गालियां देती रहीं और पुलिस वाले यह कहकर हंसते रहे कि उन्होंने लड़की को बढ़िया ट्रेनिंग दे दी है, अब आगे कभी कोई दिक्कत नहीं होगी।

स्कूल चलाने वाले युवक ने अखबार के दफ्तर में आकर सारा वाकया सुनाया। यह लड़की उसके स्कूल में पढ़ती थी। रिपोर्टरों ने कहा कि वह एफआईआर की कॉपी लाए तब खबर छप सकती है, कोई तो सबूत होना चाहिए। उसने बहुत समझाया कि जब पुलिस ने ही रेप किया है तो वे कैसे सोचते हैं कि अपने ही खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर लेगी। वे चाहें तो लड़की को अस्पताल ले जाकर या किसी डाक्टर को बस्ती में ले जाकर मेडिकल जांच करा सकते हैं। उसकी हालत अब भी बहुत खराब है। खबरों के बोझ के मारे रिपोर्टर इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहते थे और वे जानते थे कि कोई डाक्टर बस्ती में जाने को तैयार नहीं होगा। एक रिपोर्टर ने शरारत से कहा, ‘और मान लो मेडिकल जांच हो भी तो क्या निकलेगा क्या?’
‘मतलब हाइमन ब्रोकेन, खरोंच, खून ये सब तो रिपोर्ट में आएगा नहीं।’
दूसरे रिपोर्टर ने हंसी दबाते हुए घुटी चीख के स्वर में कहा, ‘रिपोर्ट में आएगा एवरीथिंग ओवर साइज, ट्यूबवेल डीप, अनेबल टू फाइंड एनीथिंग!’

कानफाड़ू ठहाकों के बीच वह युवक हक्का-बक्का रह गया। थोड़ी देर बाद उसे सांत्वना देने के लिए एक रिपोर्टर ने पुलिस सुपरिटेंडेंट को फोन मिलाया तो वे हंसे, वेश्या के साथ बलात्कार! विचित्र लीला है। अरे भाई साहब, वे आजकल ग्राहकों के लिए पगलाई घूम रही हैं, सामने मत पड़ जाइएगा। नहीं तो आप ही का बलात्कार कर डालेंगी। यह पुलिस को बदनाम करने का रंडियों का खास पैंतरा हैं। यह खबर नहीं छपी न ही किसी चैनल में दिखी, क्योंकि किसी के पास कोई सबूत नहीं था कि बलात्कार हुआ है। दरअसल सुपरिटेंडेंट की तरह पत्रकारों को भी यह समझ मे नहीं आ रहा था कि आखिर, किसी वेश्या के साथ बलात्कार कैसे संभव हैं।

प्रकाश ने अचानक खुद को उस युवक जैसी हालत में पाया जिसका हुचुर-हुचुर हंसते अपने साथियों के सामने यह भी कहना व्यर्थ था कि वह खबर दे पाने में लाचार है लेकिन उसे यकीन है कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ है। तब शायद अगला निर्मम जुमला यह भी आ सकता था कि वह भविष्य की एक अनुभवी पोर्न मॉडल तक पहुंचने का सूत्र बना रहा है।

तभी फोन की घंटी बजी, यह छवि थी जो कह रही थी कि उसे अब फोटो खींचने की तमीज सीख ही लेनी चाहिए। शायद आवाज के कंपन से उसे तीव्र पूर्वाभास हुआ कि उसे लड़की के साथ बलात्कार की घटना का पता है। उसने जब यूनिवर्सिटी में ब्यूटीशियन का कोर्स कर रही छवि की पहली बार फोटो खींचने की कोशिश की थी तो उसके भरे-भरे होंठों पर नाचती रहस्मयमय हंसी, आंखों की शरारत और बांह पर खरोंच के दो निशानों से अकबका गया था। कैमरे का शटर खोलना ही नहीं, उस पर लगा ढक्कन भी हटाना भूल गया था और लगातार फोटो खींचते, लगभग हकलाते हुए उसे तरह-तरह के पोज देने के लिए कह रहा था। छवि ने जब कहा कि कई दिन से उसका टेली लेंस उसके पार्लर में ही पड़ा हुआ है तो लगा शायद उसे नही पता है। उससे फोन पर बात करते हुए उसे लगातार लग रहा था कि दुनिया में बहुत सारे लोग हैं जो अपने साथ घट चुके को कभी साबित नहीं कर पाएंगे और वह भी उन्हीं में से एक है। वह उनकी आवाज कभी नहीं बन सकता जो कमजोरी के कारण बोल नहीं पाते, वह सिर्फ उनकी आवाज को दुहरा सकता या चेहरे दिखा सकता है, जिनके पास ताकत है। उसकी कलम में किसी और की स्याही है, कैमरे के पीछे किसी और की आंख है। फोन रखने के काफी देर बाद तक वह कैमरे का शटर खोलता, बंद करता यूं ही बैठा रहा।

खटाक....पता है। खटाक....नहीं पता है। खटाक...पता है। उसका दिमाग झूला हो चुका था।

6 टिप्‍पणियां:

  1. उसका दोष यह नहीं था की वो वेश्या की लड़की थी दोष यह था की वो लड़की थी , आत्मा सिहर गई ,
    बलात्कार एक ऐसा अपराध है जो शारीरिक रूप से चाहे एक बार हो पर मानसिक रूप से बार बार होता है , यह अकेला एसा अपराध है जिसमें पीड़ित दोषी बन जाता है और उस पर उंगलिया उठती है ...

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  2. bhai saahab kalyug hai un police walo ki bhi behan beti hogi wo kya sukhi rahenge upar wale ke ghar der hai andher nahi

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  3. yahi to kaaran hai ki aaj bhi hamaare desh me koi behan beti akeli nahi ghoom sakti , bechari kahaan kahaan sehan karengi ?
    na jaane kab log samjhenge ki dusro ki betion ko buri nazar se dekhne se pehle apni us maa ke baare me socho jisne unhe janam diya agar uske saath aisa ho to , behan ke baare me soch ke dekhe jise raakhi ke din hamesha raksha karne ka vachan dete hain , apni beti ke baare me soch ke delkho jise laad pyar se paalte hain . agar ye baat har ek nagrik ke samjh me aa jaaye to aisa kalank desh ke maathe se dhul jaaye meri sabhi paathko se vinti hai ki plz. kisi ki behan beti ko najaayaj tang mat karna

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  4. shayad bhagwan hai aur wo yeh sab dekh rahe hai? doshi ko bhagwan saja denge wo apne karm bhugtega. isliye hame chup rahna hai.

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