लव जिहाद !....अंग्रेजी और अरबी लफ्जों को मिलाकर बनाया गया एक शब्द-बम। इस बम में बारूद नहीं जहर था। पिछले कुछ महीनों में बड़ी तैयारी के साथ जगह-जगह इसे फोड़ा गया। ये बम छापेखानों की स्याही में घुलकर अखबार के पन्नों पर फैल गया। चैनलों के न्यूज रूम की नकली फर्श के नीचे उलझे पड़े तारों में जहर भरते हुए, ये बम सीधे आकाश में टंगे उपग्रहों से टकराया, और बुद्धू बक्सों के जरिये धमाका करने लगा। चौराहे पर खड़ी चेतना को इसने एक झटके में राख कर दिया।
ये कमाल था संघ परिवार की प्रचार मशीनरी का। धमाका ये बताने के लिए था कि हजारों की तादाद में हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाने के लिए जिहाद छिड़ गया है। संगठित योजनाबद्ध अभियान। मुस्लिम नौजवान भोली-भाली हिंदू लड़कियों को "फंसाते" हैं और फिर उनसे शादी करने के नाम पर इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर कर देते हैं। बाद में इन लड़कियो की जिंदगी नरक बना दी जाती है। संघ परिवार की इस 'सुरसुरी' से न्यायालय की दीवारें भी कांप गईं। अदालतों ने पुलिस को बाकायदा निर्देश दिया कि इस साजिश की छानबीन की जाए।
दरअसल केरल हाईकोर्ट के सामने एक ऐसा मामला आया था जिसमें एक हिंदू लड़की ने मुस्लिम लड़के से शादी की थी। लड़की के घरवालों ने अपहरण का आरोप लगाया था जिसके बाद हाईकोर्ट ने लड़की को मां-बाप के पास भेज दिया था। एक हफ्ते बाद उस लड़की ने अदालत के सामने बयान दिया कि ब्रेनवाश करने के लिए उसे जिहादी सीडी दिखाई गई थी। इस बयान के बाद अदालत ने पुलिस को लव जिहाद के राष्ट्रव्यापी तंत्र का पता लगाने का निर्देश दे दिया।
इसके बाद तो मंजर वाकई देखने लायक था। समाचार माध्यमों ने ऐसी-ऐसी कथा गढ़ी कि जासूसी नावेल लिखने वाले फेल नजर आने लगे। कोई इस 'जिहाद' का सिरा तलाशते तलाशते अलकायदा तक पहुंच गया तो कोई पाक के नापाक इरादों तक। हालांकि इस कहानी में झोल ही झोल थे, लेकिन सवाल करने वालों के मुंह पर ताले जड़ दिए गए थे। महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी की 'सेक्युलर' सरकार ने मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की वाली हर शादी की जांच का इरादा बना लिया।
'लव जिहाद' का नारा बुलंद करने वाले खुद को धर्मयोद्धा समझते हैं। लेकिन उनकी थीसिस, खासतौर पर हिंदू लड़कियों के लिए बेहद अपमानजनक है। उनके सिद्धांत को मान लेने का मतलब है कि हिंदू लड़कियां किसी से भी आसानी से "फंस" सकती हैं। शादी के नाम पर उन्हें कोई भी बरगला सकता है। वे ये भी नहीं देखतीं कि सामने वाले के इरादे क्या हैं, वो प्रेम के काबिल है भी कि नहीं, बस प्रेम कर बैठती हैं। शादी करने के लिए झट से इस्लाम कुबूल कर लेती हैं।
चलिए, थोड़ी देर के लिए मान लीजिए कि दुनिया में कोई आंतकी ट्रेनिंग कैंप ऐसा भी है जो बंदूक से नहीं 'लव' के जरिए जिहाद की तरकीब सिखाता है। अब ये कैंप या तो सीमा पार होगा या फिर किसी बड़े मजहबी इदारे में। वहां से निकले जिहादी को 'लव' करना है। ऐसे में वो कहां जाएगा? ऐसे शख्स के आसपास हिंदू लड़की तो छोड़िए, हिंदू लड़के भी नहीं होंगे। जब संपर्क ही नहीं रहेगा तो संवाद कैसे होगा। और जब संवाद नहीं होगा तो 'लव' के हालात कैसे बनेंगे?
लेकिन धर्मयोद्धाओं के लिए प्रेम में लड़की की इच्छा का क्या मतलब। उन्हें लगता है कि जिहादी के एक इशारे पर हिंदू लड़की मर मिटने को मजबूर हो जाएगी। गोया उसके दिमाग में भूसा भरा होता है। जाहिर है प्रेम इतनी आसान चीज नहीं है। ऐसा संभव नहीं कि कोई जब चाहे, जहां चाहे, जिससे चाहे प्रेम कर सकता है।
अब जरा प्रेम को लेकर भारतीय समाज का हाल देखिए। खाप पंचायतों के फैसले बताते हैं कि जाति तोड़कर शादी करने वालो को क्या दंड मिल सकता है। खैर जाति तो फिर भी लोग तोड़ देते हैं, लेकिन धर्म! आसपास नजर डालिए, धर्म की दीवार को गिराकर आशियाना बनाने वाले दो-चार ही नजर आएंगे। ऐसे हिंदू लड़के भी नजर आएंगे जिन्होंने मुस्लिम लड़की से शादी की है। जाहिर है, प्रेम का आधार बेहद पुख्ता होने पर ही धर्म की दीवार टूटती है। वरना 'मलेच्छ' और 'काफिर' का क्या मेल?
'काफिर' किसी 'म्लेच्छ' को मन-मंदिर में बैठा ले, या कोई 'म्लेच्छ' किसी 'काफिर'में खुदा का नूर देखने लगे, ये किसी षड़यंत्र का नतीजा नहीं हो सकता। ऐसा करने वाले नि:संदेह वहां पहुंचते हैं जहां "दुइ" की गुंजाइश नहीं बचती (प्रेम गली अति सांकरी, जामे दुइ न समाय)। बचपन से कूट-कूट कर भरे गए संस्कारों से मुक्त होकर ही कोई इस हालत में पहुंच सकता है। इस प्रक्रिया में तो कोई आतंकवादी भी इंसान बनने के लिए मजबूर हो जाएगा। ( आमिर खान की फिल्म 'फना' याद कीजिए!)
साफ है कि 'लव जिहाद' के नाम पर तिल का ताड़ बनाया गया। वो भी खास राजनीतिक मकसद से। वैसे, इस साजिश की पर्तें अब खुल गई हैं। केरल के डीजीपी ने केरल हाईकोर्ट को तमाम पड़ताल के बाद बताया है कि 'लव जिहाद' को लेकर किसी राष्ट्रव्यापी षड़यंत्र के सुबूत नहीं मिले। कर्नाटक में भी अनिता हत्याकांड की सच्चाई सामने आ गई है। पुलिस तफ्तीश में साफ हुआ है कि 22 साल की अनिता की हत्या मोहन कुमार नाम के एक सीरियल किलर ने की थी। संघ परिवार के संगठनों ने इस हत्याकांड को 'लव जिहाद' का हिस्सा बताते हुए हंगामा किया था।
रही बात केरल हाईकोर्ट में जिहादी सीडी दिखाने वाले बयान की, तो याद रखने की बात है कि वो लड़की अपने अभिभावकों के दबाव में थी। वो उसी राह पर गई जिस पर नितीश कटारा केस में भारती यादव गई या फिर रिजवान-उर- रहमान मामले में प्रियंका तोड़ी। वैसे, अंतरधार्मिक प्रेम संबंधों का असफल होना भी उतनी ही स्वाभाविक बात है, जितना किसी सजातीय, सधर्मी प्रेमसंबंध का असफल होना या फिर घर से तय की गई शादी का टूटना।
बहरहाल, 'लव जिहाद' प्रकरण ने भारतीय समाज की तमाम पर्तें एक झटके में हटा दीं। आखिर मीडिया, पुलिस और कानून के गलियारों में ऐसे सांप्रदायिक विषवमन को तरजीह क्यों दी गई। ये बताता है कि सांप्रदायिक और मर्दवादी सोच का असर कितना गहरा है। 'लव जिहाद' और कुछ नहीं, स्त्रियों के चुनाव के अधिकार पर एक और हमला है। उनकी स्वतंत्रता को बर्दाश्त न कर पाने वालों की झल्लाहट है। प्रेम से डरे हुए लोगों की कुंठा का विस्फोट है।
पद्मावत में जायसी फरमा गए हैं.....मोहमद चिनगी प्रेम कै सुनि महि, गगन डराइ / धन बिरही और धन हिया, जहं अस अगनि समाइ।
यह मीडिया व संघ द्वारा इजाद किया गया शब्द है क्यूंकि वही हैं अंग्रेजी और अरबी के शब्दों को मिला कर ऐसा प्रोडक्ट बनाते है जो बहुत ज्यादा सेल हो जाता है
जवाब देंहटाएंइस काले और सफेद के विश्लेषण के बीच कहीं ना कहीं कुछ कुछ ग्रे एरिया भी ज़रूर हैं। उन पर भी ध्यान दिया जाना बेहद ज़रूरी है।
जवाब देंहटाएंइस ब्लाग के मास्ट हेड की तस्वीर बहुत सुन्दर है, क्या यह आप से संबधित है
जवाब देंहटाएं@krishna kumar
जवाब देंहटाएंनहीं भाई, इस तस्वीर का मुझसे कोई संबंध नहीं है। हारमोनियम के मूल रचनाकार भाई अनिल यादव हैं, वही इसका राज खोल सकते हैं।
झूठ , कुत्सा प्रचार और पलटबयानी संघ की कार्यपद्धति का हिस्सा है। उसका पूरा इतिहास इसका गवाह है भाई…
जवाब देंहटाएंअब अपने आदर्श हिटलर से यह तो सीखना ही था उन्हें!
मैं तो कुलीन वर्गों में होनेवाले उन प्रेम और विवाह संबंधों की नियति पर चिंतित हूं जो सजातीय, सधर्मी होने के बावजूद एक दो साल में यूं टूट जाते हैं जैसे गलती से पाप हो गया था...
जवाब देंहटाएंanil ji, baat to theek hai, loving jehad mangarant sabad hai. aap ne prem ki mahima bhi achhe andaz mein batayi. lakin laptop se nagar hatiye. zara hakikat parkhne ke liye ten example ligiye. sarkari dastavazo se nahi. middle class ki zindgi se jhankte koi bhi das kase. zara maloom kijiye ravita se razia bani das prem divaniyo ke sath kya hua. rss ko kinare rakh dijiyega. phir himmat kijiye aur apne anuvabh likihyga. is tarah ki bodhik kasart se kuch hassel nhi hota. deepak agarwal
जवाब देंहटाएंcool!very creative!AV,無碼,a片免費看,自拍貼圖,伊莉,微風論壇,成人聊天室,成人電影,成人文學,成人貼圖區,成人網站,一葉情貼圖片區,色情漫畫,言情小說,情色論壇,臺灣情色網,色情影片,色情,成人影城,080視訊聊天室,a片,A漫,h漫,麗的色遊戲,同志色教館,AV女優,SEX,咆哮小老鼠,85cc免費影片,正妹牆,ut聊天室,豆豆聊天室,聊天室,情色小說,aio,成人,微風成人,做愛,成人貼圖,18成人,嘟嘟成人網,aio交友愛情館,情色文學,色情小說,色情網站,情色,A片下載,嘟嘟情人色網,成人影片,成人圖片,成人文章,成人小說,成人漫畫,視訊聊天室,性愛,成人圖片區,性愛自拍,美女寫真,自拍
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