सफरनामा

06 अक्तूबर, 2010

लखेन्दर का एन्सर है आपके पास

संझा को सूरूज डुबान लखेन्दर जवान जब लुंगी पर कुर्ता झार के तेल से चिकनाई पटकन लेके और कान पर एक ठो पनामा खोंसे घर से निकलता है तो उसकी माई साइंस को सरापने लगती है। बुढ़िया सूरूज नरायन संझा माई से कहती है, हर चीज में मिलावट है उसको धराने का जंत्र आ गया है लेकिन नकली सराफ पकड़ने का काहे नहीं आया। ऐह भगवान, ई मुंहफुंकवना तो मानेगा नहीं, भगौती माई रच्छा करें अगर कुछ हो गया तो पतोह को लेकर यह बूढ़ी किस कुइंया ईनार में जाएगी।

चट्टी पर बसंतू के चाह के दोकान में कलवारी खुली है जो वोट पड़ने तक अलाहोल पियाती रहेगी लखेन्दर बंऊड़ियाता रहेगा। एक पहर रात गए रतउन्ही के मारल के तरे थथम थथम के जब लौटता है तो दुलहिन अइसे देखती है जमराज चले आ रहे हैं। भुनभुनाती है किसमते खराब था अगल महिला सीट रहा होता तो प्रधान हो जाती, रोज संझा के हाथ पर तीस-बत्तीस रुपैया धर देती। अपना दरवाजे पर बइठ के खांटी देसावर माल पीते। ई डर तो नही लगा रहता।

पहिल बूढ़ पुरनिया को मान लेते थे लेकिन सब नौछिटुआ प्रधानी में उठ रहा है। एतना दौड़ धूप का काम हो गया है बूढ़-ठेल सपर नहीं सकेगा। बिलौक, थानेदार से लेकर कलेक्टर तक का कनेक्शन लगाना पड़ता है। ललका रासन काट है, वृद्धा, विकलांग पेन्सन, नरेगा का जाफ काट है, केतना किसिम का लोनिंग है सबमें प्रधान का दस्खत चाहिए। हर तरह का कच्चा काम में साठ और पक्का में तीस-पैंतीस परसेन्ट कमीसन है। बड़का चुनाव में हर पाटी का लोग घेरे रहता है परधान जी, परधान जी कहते मुंह झुराता है। माने की जिसके नीचे बोलेरो आ ऊपर एगो ढकनी वाला चश्मा नहीं उसको कोई परधान नहीं समझता। एसडीएम उतना टंच का कमाएगा जी जेतना परधान का महीना में सबका काटकूट के हिसाब हो जाता है। एही ला एतना मारा मारी है। जहां महिला सीट है गोबर काछना बंद हो गया है। एक बार जीत लिया तो कऊवाहकनी घर की लछमी हो जाती है।

जनम के लाखैरा लखेन्दर एगो टूटहा कट्टा दिखाय के कब्बो बसंतू के लरिका से एक बन्डल बीड़ी त कभी दस बीस नकद फुसीट लेता था। डेढ़ हजार भाव लगा तो तुरते बेच दिया। अब कहता है कि ममहर से पांच-पांच सौ में तीन गो ले आ के बिजनेस करेगा। सुरक्षित सीट हो गया है न। कतवारू का चानस ज्यादा है। कतवारू के पढ़वईया लरिका ने लखेन्दर को डांटा, बुरबके हो बिजनेस का मतलब जानते हो। पुलिस के बान्ह के ले जाएगी तो तुमरा कट्टा कारपोरेशन के आपिस पर ताला लग जाएगा। सरकार का योजना आया है कि हर गांव में कंपूटर का खोखा लगेगा जिसमें बीस रूपया देके हर तरह का साटिक फिटिक आ जानकारी किसान भाइयों को मिलेगा। कतवारू काका बोले हैं कि लखेन्दर को कंपूटर का खोखा लगवा देंगे। साल दू साल में ग्रामीण भारत में संचार किरान्ती लाने वाला ईनाम भी मिल जाएगा। उसको लेने के लिए फिलीपीन देस जाना पड़ता है। नीके तो सांयसांय जैसा नाम है ऊ ईनाम का, कई लाख ऱूपिया मिलता है।

बलिया में बिहार बोडर के रामपुर छेरियहवा गांव का लखेन्दर अबहिएं सबके कंप्यूटर में झांकने लगा है। पूछता है काहो ई बिलोग वाला सब कहां का फुटानी झारता रहता है। यूपी का त्रिस्तरी पंचायती चुनाव हो रहा है आ ऊहां कौनो चरचा ही नहीं। ई सब कौन इन्डिया का बात करता है जी।

1 टिप्पणी: